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NAVRATRI HAVAN VIDHI

नवरात्री हवन विधि

आगच्छ त्वं महादेवि। स्थाने चात्र स्थिरा भव।
यावत पूजां करिष्यामि तावत त्वं सन्निधौ भव।।
001
''श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:।''
श्री दुर्गादेवी - आवाहयामि - फूल, चावल चढ़ाएं।
''श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:।''
श्री दुर्गादेवी - आसनार्थे पुष्पानी समर्पयामि।- भगवती को आसन दें।
''श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:।''
श्री दुर्गादेवी - पाद्यम, अर्ध्य, आचमन, स्नानार्थ जलं समर्पयामि।-आचमन ग्रहण करें।
''श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:।''
श्री दुर्गादेवी दुग्धं समर्पयामि - दूध चढ़ाएं।
''श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:।''
श्री दुर्गादेवी दही समर्पयामि - दही चढा़एं।
''श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:।''
श्री दुर्गादेवी घृत समर्पयामि - घी चढ़ाएं।
''श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:।''
श्री दुर्गादेवी मधु समर्पयामि - शहद चढा़एं।
''श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:।''
श्री दुर्गादेवी शर्करा समर्पयामि - शक्कर चढा़एं।
''श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:।''
श्री दुर्गादेवी पंचामृत समर्पयामि - पंचामृत चढ़ाएं।
''श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:।''
श्री दुर्गादेवी गंधोदक समर्पयामि - गंध चढाएं।
''श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:।''
श्री दुर्गा देवी शुद्धोदक स्नानम समर्पयामि - जल चढा़एं - आचमन के लिए जल लें।
''श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:।''
श्री दुर्गादेवी वस्त्रम समर्पयामि - वस्त्र, उपवस्त्र चढ़ाएं।
''श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:।''
श्री दुर्गादेवी सौभाग्य सूत्रम् समर्पयामि - सौभाग्य-सूत्र चढाएं।
''श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:।''
श्री दुर्गा-देव्यै पुष्पमालाम समर्पयामि-फूल, फूलमाला, बिल्व पत्र, दुर्वा चढ़ाएं।
''श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:।''
श्री दुर्गा-देव्यै नैवेद्यम निवेदयामि-इसके बाद हाथ धोकर भगवती को भोग लगाएं।
''श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:।''
श्री दुर्गा देव्यै फलम समर्पयामि- फल चढ़ाएं।
''श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:।''
श्री दुर्गा-देव्यै ताम्बूलं समर्पयामि - तांबुल (सुपारी, लौंग, इलायची) चढ़ाएं।
मां दुर्गा देवी की आरती करें……..।
002
मंत्र:-
003
1.पापनाश और भक्ति प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की वंदना इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-
नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे |
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ||

2.स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की स्तुति इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-
सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्तिप्रदायिनी |
त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः ||

3.प्रसन्नता प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की आराधना इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-
प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि |
त्रैलोक्यवासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव ||

4.जीवन में आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की आराधना इस मंत्र से करना चाहिए-
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम् |
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ||

5.अपने पापों को मिटाने के लिये इस मन्त्र के द्वारा मां दुर्गा की अराधना करना चाहिए-
हिनस्ति दैत्यतेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत् |
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योनः सुतानिव ||

6.इस मंत्र के द्वारा विश्व के अशुभ तथा भय का विनाश करने के लिए मां दुर्गा की स्तुति करना चाहिए-
यस्याः प्रभावमतुलं भगवाननन्तो ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तमलं बलं च |
सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु ||

7.सामूहिक कल्याण के लिए मां दुर्गा की वंदना इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-
देव्या यया ततमिदं जग्दात्मशक्त्या निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या |
तामम्बिकामखिलदेव महर्षिपूज्यां भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः ||

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